ठाकुर बांकेबिहारी को अक्षय तृतीया पर अर्पित करतीं है पाजेब, हर वर्ष बढ़ रही ऐसी युवतियों की संख्या


ठाकुर बांकेबिहारी की लीलाएं निराली हैं, तो उनके भक्तों की आस्था अनोखी। यही कारण है कि आराध्य के दर्शन के लिए मीलों लंबा सफर भी छोटा लगता है। आराध्य भी अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करने में कमी नहीं करते। एक ऐसी ही अनूठी परंपरा का निर्वहन यहां हो रहा है। अक्षय तृतीया पर जब वर्ष में एक बार आराध्य के चरण दर्शन होते. हैं, तो विवाह योग्य युवतियां आराध्य को पाजेब अर्पित करती हैं। मान्यता है कि उन्हें इसी वर्ष मनचाहा वर मिलता है। यही कारण है कि देश भर से युवतियां यहां पाजेब अर्पित करने पहुंचती हैं। 




ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत श्रीनाथ गोस्वामी बताते हैं, अक्षय तृतीया पर ठाकुर बांकेबिहारी जी वर्ष में एक ही दिन भक्तों को चरण दर्शन देते हैं। उनके चारणों में सोने की पाजेब होती है। मान्यता है कि इस दिन ऐसी युवतियां, जिनकी शादी में दिक्कत आ रही है या फिर विवाह योग्य हो चुकी हैं। वह ठाकुरजी को पाजेब अर्पित करती हैं।ऐसा करने से उन्हें इसी वर्ष मनचाहावर मिल जाता है। वे सुखी गृहस्थ जीवन में प्रवेश कर जाती हैं



 मंदिर सेवायत श्रीनाथ गोस्वामी बताते हैं करीब दस वर्ष पहले तक तो पाजेब अर्पित करने वाली युवतियों की संख्या तीन से चार दर्जन ही होती थी। लेकिन, पिछले वर्षों में अगर कोविडकाल के दो वर्ष छोड़ दिए जाएं तो युवतियों की संख्या सैकड़ों में पहुंच गई है। पिछले वर्ष ही करीब डेढ़ सौ युवतियों ने पाजेब दान की। इनमें से करीब एक दर्जन पाजेब तो उनके जरिए ही दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, कानपुर की युवतियों ने पाजेब अर्पित की।युवतियां अपने पति के साथ दर्शनके लिए इस बार आने के वादा करचुकी है। वह यहां आराध्य का आभार जताएंगे